फ़कीरी
जाने क्या ढूंढता है दिल इस फ़कीरी में
जाने किसकी तलाश है मुझे बेकरारी में
सितारो से परे कुछ तो है जो पाना है
जो नही है हासिल दुनिया की किसी अमीरी में
वो हो गर शामिल मेरे खयालात में
तो हो तासीर मेरी बन्दिशो-शायरी में
वो गर दे संगत मेरे जज़्बात में
तो हो असर मेरे इश्को-वफ़ादारी में
कोशिश है आफ़ताब को पाने की हर कदम पर
माना की ज़र्रा हूं उसकी बराबरी में
Teaching and researching religions, languages, literatures, films, and ecology of India: http://philosophy.unt.edu/people/faculty/pankaj-jain
Dr. Pankaj Jain
Sunday, July 15, 2007
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