Teaching and researching religions, languages, literatures, films, and ecology of India: http://philosophy.unt.edu/people/faculty/pankaj-jain

Sunday, July 15, 2007

NRI: Saanskritik Doot

हम सब हैं भारत के सांस्कृतिक दूत़
हमारी मातृभूमि के हम सच्चे सपूत.

हमारा है यही एक कतर्व्य यही उत्तरदायित्व
पुण्यभूमि के सन्देश से लाभान्वित हो सारा विश्व.

सदियों के पूर्वजों ऋषियों की हम है आशा़
अगली सभी पीढीयोंकी हम हैं अभिलाषा .

सदियों के पावन भण्डार के हम उत्तराधिकारी़
वेद- उपिनषद- गीता रुपी अमृत के हम पुजारी.

संस्कृति के जीर्णोधार का हमें मिले आह्वान
भारतीयता के पुनरुत्थानका हम मांगें वरदान.

1 comment:

Jignyasu said...

Hi Pankaj

This is excellent.

Regards
Mahesh

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पंकज जॆन

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